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Zenx H.P
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SC Set Aside (SC ने रद्द किया): Supreme Court ने आखिरकार Himachal Pradesh High Court के उस order को set aside (रद्द) कर दिया है, जिसमें forest land पर लगे fruit-bearing orchards (फल वाले बागानों) को हटाने का निर्देश दिया गया था।
Drastic Consequence (गंभीर परिणाम): Supreme Court ने कहा कि High Court का यह फैसला drastic consequences (बहुत गंभीर परिणाम) वाला था, क्योंकि इससे समाज के marginalized sections (हाशिये पर रहने वाले) और landless people (भूमिहीन लोग) सीधे तौर पर affected हो रहे थे।
Policy Domain (पॉलिसी का मामला): Court ने साफ किया कि फलदार पेड़ों को काटना policy domain (सरकारी नीति का मामला) है, और High Court को felling (काटने) का आदेश नहीं देना चाहिए था।
HC का Order: July 2 को Himachal Pradesh High Court ने Forest Department को order दिया था कि encroached (अतिक्रमित) forest land पर लगे apple orchards (सेब के बागान) को हटा दिया जाए और उनकी जगह forest species (जंगली पेड़) लगाए जाएं।
The Problem: इस order से लाखों apple growers (सेब उगाने वाले किसानों) में panic फैल गया, खासकर उन छोटे किसानों में जिनकी livelihood (रोटी-रोजी) इन्हीं पेड़ों पर निर्भर थी। Petitioners (याचिकाकर्ताओं) ने कहा कि इन पेड़ों को काटने से ecological harm (पर्यावरण को नुकसान), landslides (भूस्खलन) का खतरा और socio-economic crisis (सामाजिक-आर्थिक संकट) पैदा होगा।
SC का Intervention: शिमला के पूर्व-उप महापौर Tikender Singh Panwar और Advocate Rajiv Rai ने Supreme Court में petition (याचिका) दायर की। उन्होंने तर्क दिया कि High Court का order arbitrary (मनमाना) और disproportionate (असंगत) था, और इससे किसानों के fundamental right to livelihood (Article 21) का उल्लंघन हो रहा था।
SC का Final Faisla: मंगलवार को Chief Justice of India Surya Kant and Justice Joymalya Bagchi की बेंच ने High Court के order को set aside कर दिया।
SC ने marginalized sections (गरीब लोगों) को ध्यान में रखते हुए Himachal Government को कहा है कि वह Centre (केंद्र सरकार) के लिए एक proposal (प्रस्ताव) तैयार करे, ताकि इन लोगों को help मिल सके।
हालांकि, SC ने State Government को यह permission (इजाजत) दी है कि वह encroachment (अतिक्रमण) के खिलाफ action ले सकती है, लेकिन फलदार पेड़ों को काटने का order नहीं दिया जा सकता।
Himachal Pradesh में सेब की खेती economy (अर्थव्यवस्था) की backbone है।
हाई कोर्ट के order के बाद, fully fruit-laden apple trees (पूरी तरह से फल लगे हुए पेड़) काटे जा रहे थे, जिससे किसानों को लाखों का economic loss (आर्थिक नुकसान) हो रहा था।
SC के इस फैसले से lakhoñ (लाखों) apple growers को relief (राहत) मिली है और उनकी livelihood (आजीविका) बच गई है।
HP High Court ने बोला था कि Forest Land से सेब के बागान हटाओ, चाहे पेड़ फल से लदे हों। किसानों ने बोला, “ये तो ग़लत है!” और Supreme Court चले गए। Supreme Court ने High Court का order रद्द कर दिया और कहा, “पेड़ काटना ग़लत है, इससे ग़रीबों को नुकसान होगा।”