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हिमाचल प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए परिवहन विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब सभी व्यवसायिक वाहनों में डस्टबिन (कूड़ेदान) लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। बिना डस्टबिन के किसी भी वाहन की पासिंग नहीं होगी। इस नियम का उल्लंघन करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके साथ ही सड़कों पर कचरा फेंकने वालों पर 1,500 रुपये का चालान काटा जाएगा। यह पहल हिमाचल को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने के लिए शुरू की गई है, खासकर पर्यटन सीजन को ध्यान में रखते हुए।
हिमाचल प्रदेश, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, हर साल 1.5 से 2 करोड़ पर्यटकों को आकर्षित करता है। पर्यटक निजी वाहनों, लग्जरी बसों, टैक्सियों और टेंपो ट्रैवलर से यहां पहुंचते हैं। लेकिन कई बार चालक और यात्री सड़कों पर कचरा फेंक देते हैं, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने व्यवसायिक वाहनों में डस्टबिन अनिवार्य करने का फैसला किया है।
परिवहन विभाग ने 1 मई 2025 को पूरे प्रदेश में एक विशेष अभियान चलाया। इस दौरान क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) और मोटर वाहन निरीक्षक (एमवीआई) ने वाहन चालकों को नियमों के बारे में जागरूक किया। पहले दिन चालान नहीं काटे गए, बल्कि चालकों को डस्टबिन लगाने की सलाह दी गई। शिमला के तारादेवी में वाहन पासिंग के लिए आए चालकों को इस नियम की जानकारी दी गई, और अन्य जिलों में भी यही प्रक्रिया अपनाई गई।
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने भी इस नियम का पालन शुरू कर दिया है। निगम ने अपनी बसों में डस्टबिन लगाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। लंबी दूरी की बसों में डस्टबिन पहले ही लगाए जा चुके हैं, और अब स्थानीय रूट की बसों में भी यह व्यवस्था की जा रही है। एचआरटीसी ने चालकों और परिचालकों को निर्देश दिए हैं कि वे यात्रियों को कचरा डस्टबिन में डालने के लिए प्रेरित करें।
हिमाचल सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए कई अन्य महत्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं। हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा-कचरा नियंत्रण अधिनियम, 1995 की धारा 3.ए 1 के तहत 500 मिलीलीटर तक की प्लास्टिक पानी की बोतलों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह प्रतिबंध सरकारी बैठकों, सम्मेलनों, और निजी होटलों सहित सभी आयोजनों पर लागू होगा। अब कांच की बोतलें, स्टील के कंटेनर, और वॉटर डिस्पेंसर जैसे पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा दिया जाएगा।
यह निर्णय छोटी प्लास्टिक बोतलों के अत्यधिक उपयोग से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को कम करने के लिए लिया गया है। पर्यटन निगम के होटलों में भी इस नियम का सख्ती से पालन किया जाएगा।
परिवहन विभाग ने चालकों को चेतावनी दी है कि डस्टबिन न लगाने पर 10,000 रुपये का भारी जुर्माना लगेगा। वहीं, सड़क पर कचरा फेंकने वालों को 1,500 रुपये का चालान भरना होगा। हालांकि, अभी जागरूकता पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन जल्द ही सख्त कार्रवाई शुरू होगी।
विभाग का कहना है कि डस्टबिन लगाने का खर्च ज्यादा नहीं है, और यह कदम प्रदेश को स्वच्छ और सुंदर बनाने में मदद करेगा। पर्यटकों और स्थानीय लोगों के सहयोग से हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखा जा सकता है।
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का बड़ा योगदान है। सड़कों पर कचरा फेंकने की आदत न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि पर्यटकों के बीच भी गलत संदेश देती है। डस्टबिन अनिवार्य करने और प्लास्टिक बोतलों पर प्रतिबंध जैसे कदम निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण हैं:
हिमाचल प्रदेश सरकार और परिवहन विभाग का यह कदम पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। सभी वाहन चालकों और मालिकों से अपील है कि वे इस नियम का पालन करें और डस्टबिन का उपयोग करें। यह न केवल जुर्माने से बचाएगा, बल्कि हिमाचल की प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने में भी योगदान देगा। पर्यटकों को भी चाहिए कि वे सड़कों पर कचरा न फेंके और डस्टबिन का उपयोग करें।
हिमाचल को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने के लिए हम सबका सहयोग जरूरी है। आइए, इस पहल का हिस्सा बनें और अपने प्रदेश को और सुंदर बनाएं।